क्यों हुआ ?कैसे हुआ? कब हुआ? पता नहीं , इंसान बना मशीन, भावनाओं का पता नहीं क्यों हुआ ?कैसे हुआ? कब हुआ? पता नहीं , इंसान बना मशीन, भावनाओं का पता नहीं
प्रेम मन की भावनाओं का सुंदर आकाश है जीवन के पथ पर,जीनेे का मंत्र है प्रेम मन की भावनाओं का सुंदर आकाश है जीवन के पथ पर,जीनेे का मंत्र है
भावनाओं से नहीं भावनाओं से नहीं
शब्दावली से चुनकर अनमोल हीरे जड़े हैं, भावनाओं की बिंदी लगाई स्पंदनों के भाल पर, शब्दावली से चुनकर अनमोल हीरे जड़े हैं, भावनाओं की बिंदी लगाई स्पंदनों क...
स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली। स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली।
भर दे एहसास अपने होने का कि मैं हूं ना सिर्फ तुम्हारे लिए, स्त्री बस यही तो चाहती ह भर दे एहसास अपने होने का कि मैं हूं ना सिर्फ तुम्हारे लिए, स्त्री बस यही तो ...